घर आया...
घर आया....
कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया....
मैं अनुभव जीवन का लेकर घर आया.....
खेल-खिलौने भूल गया सब मेले में,
वो दादी का चिमटा लेकर घर आया.....
होमवर्क का बोझ अभी भी सर पर है,
जैसे-तैसे बस्ता लेकर घर आया......
बहुत खुशियां बिताई दोस्तों में,
दोस्तों की याद लेकर घर आया.......
बहुत देखे लोग बहुत देखी ये दुनिया,
यूँ ही मैं सब दुनियादारी लेकर घर आया....
बाँट दिया सब बीवी-बच्चों में ही,
जब दफ़्तर से ग़ुस्सा लेकर घर आया.....
उसको उसके हिस्से का आदर देना,
जो बेटी का रिश्ता लेकर घर आया.......
कौन उसूलों के पीछे भूखों मरता,
वो भी अपना हिस्सा लेकर घर आया.......
~आकाश दीक्षित ( @Atrocious_bhakt )
मेरे एक मित्र द्वारा लिखी कविता 🙏😀
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