जुगलबंदी दो सज्जनों की - Shayri Jugalbandi Do Sajjano ki
(तस्वीर ज़ूम करके पढें -Zoom picture for reading) |
**जुगलबंदी दो आवारा सज्जनों की...!**
किसके इश्क़ का भांग खा के आया तू,
किसके इश्क़ का नशा चढ़ा के आया तू,
जिंदा भी है या बस आत्मा उठा लाया तू...!
कैसे बताऊँ क्या बन कर लौट आया हूँ
खुद को ही नही पहचान पा रहा हूँ
और होश में आने की बात कर रहा है तू...!
प्यारे इश्क़ की डगर है बड़ी टेढ़ी
मेरे यारे इश्क़ की डगर है बड़ी टेढ़ी
जिसने मोड़ लिया साइकिल बस रांझणा उसकी...!
नही चाहिए ऐसी मोहब्बत
जो प्यार ही नही करती...!
पर आजकल कि लड़कियां इतना ऐतबार कहा करती...!
अभी शुरुआती है तुम्हारा इश्क़ प्यारे,
गौर से देखो मैखाने में यूही नहीं सजा करती रोज मशुकायें,
ये इश्क़ नही आसान बस इतना समझ लीजिए
आप का नंबर भी आएगा एक दिन जान लीजिए...!
एक नज़र देखने को बस तरस जाते हैं,
वो ज़ालिमा फ़ोन ही नहीं उठाती,
अगर उठा भी लेती है तो गैर बना देती है...!
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छोड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो..!
ऐसे धोखेबाज बहुत देखे हैं,
प्यार तो कर लेते हैं,
इकरार के वक़्त, नज़रे फेर लेते हैं...!
अज़ीज़ इतना ही रखो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए...!
आपके सिक्के में ही खोट निकला...!
इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा
वो नहीं तो कोई तो तुझको दूसरी मिल जाएगी ..!
एक ने ही सीखा दिया,
जिंदगी को इस कदर जीना...!
ये इश्क़ है ही इतना अजीब यारे,
दिल को सुकून भी देता तो बेचैनियां भी,
न जी सकते हैं इसके बिना,
न चैन से मर सकते हैं इसके बिना...!!
दाईं तरफ (Right side)
आशुतोष तिवारी – @Royalashu720
बाईं तरफ (Left Side)
सनी यादव – @CuteSunnie
धन्यवाद बहन
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