बहन के लिए एक कविता ( Poem For Sister )



मेरी बहन 'पायल' के लिए
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"पायल" हो तुम झँकार सुनाती चली जाती हो
हर घर-आँगन अपनी धुन से चहकाती चली जाती हो

तुम्हारी सबसे खास बात यही है
तुम कुछ भी दिल पर भार नही लेती

बदलावों में आसानी से ढलती चली जाती हो
गंगा का बहता नीर हो जो बहती चली जाती हो

सींचते हुए प्रकृति को राह में चलती चली जाती हो
ना स्वार्थ ना चिंताएँ बस यूँ ही आनंद के साथ जीती चली जाती हो

मैं जानती हूँ तुमको जितना समंदर अपनी गहराई को जाना है
मैं मानती हूँ तुमको जितना सूर्य ने अपने प्रकाश को माना है

कर दे सारी दुनिया भूल गर तुम्हें पहचानने में
पर मैंने तुम्हें तुमसे अधिक जाना और पहचाना है

ऐसी मेरी पायल बहना है

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