मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में- Main Rang Gayi Thi Us Pal Tumhare Prem Mein...



*-*मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में*-*

आया दृश्य नयनों में,
तुम्हारी मधुर मुस्कान का जब
उसी क्षण से मैं तुममें खो गई
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

शनै-शनै जब,
तुम संग बातों का प्रवाह 
प्रारम्भ हुआ मैं मगन हो गई
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

जाना जब तुम्हें,
हृद से कोई गूढ़ संबंध
होने की अनुभूति तुमसे हो गई
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

इस विपुल संसार में,
मुझसा भी है कोई व्यक्ति
देख तुम्हें क्षणभर मैं स्तब्द्ध हो गई
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

देख तुझे, कटुतापूर्ण
भूत की वो स्मृतियां, आज
भूत-सी मेरी यादों में ओझल हो गई
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

अकेली सी थी मैं,
अर्ध-सा था मेरा जीवन
तुम्हारे आगम से मैं पूर्ण सी हो गई
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

बेरंग-सा जीवन मेरा,
रंगो से भरा व्यक्तित्व तुम्हारा
तुम्हारे आने से आत्मा सतरंगी हो गई
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

हाँ स्वीकारती हूँ मैं,
कि असीम प्रेम है तुमसे मुझे
जब तुम्हारे संग समय व्यतीत हुआ
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

मुझे प्रेम है, इस रंग से,
मुझे प्रेम है, तुम्हारे इस प्रेम से
मैं रंग चुकी हूँ इस प्रेम में, जैसे
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

क्षणभंगुर से संसार में,
निरंतर बहते तुम्हारे प्रेम के रंग में
रंगना स्वयं को मुझे अच्छा लगता है
मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...

मैं रंग गई थी उस पल तुम्हारे प्रेम में...!

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