हिंदुत्व की आग - Hindutva Ki Aag.. Poem on Atal ji's Birthday.


हिंदुत्व की आग...

रस्सी को बेशक़ तुम जला सकते हो
पर उसका बल तुम कभी मिटा सकते नही...

बेशक़ तुम जीत का आनंद उठा सकते हो
पर तुम ताक़त-हौसला तोड़ सकते नही...

ये कौम है भारत के वीर वासियों की
इसे तुम तोड़कर झुका सकते नही..

ये कौम है हिन्दूओं की इसे तुम भटका सकते हो
पर वजूद इस कौम का तुम मिटा सकते नही...

जाट राजे बनिक बिहारी बामन में बाँट तुम सकते हो
पर तुम उस हिन्दूत्व की आग को रोक सकते नही...

उठो हिन्दू, उठो भारत-भारती बहुत सो चुके तुम
जागो तुम अपनी निद्रा से ये तुम्हें हरा सकते नही...

अब जागो नही तो तुम खो दोगे अपना सब कुछ
संघर्ष करो ये तुम्हारा कुछ बिगाड़ सकते नही...

मैं तुम्हारे भीतर की आग हूँ मुझे नज़रंदाज़ कर सकते हो
पर मुझ जैसी धधकती ज्वाला को बुझा तुम सकते नही...!

– पूजा सांगवान

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