समाज और संसार में मनुष्य का योगदान- Contribution Of Humans In Society And World




समाज:
समाज एक व्यवस्था है जो मनुष्य की समझदारी और उसके समाज को चलाने के तरीकों से बनती है जिस प्रकार से मनुष्य सृष्टि को चलाने में एक नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाता है वही उसे इस समाज में और संसार में बुद्धिमान और श्रेष्ठ बनाती है इस समाज में हर प्रकार के लोग रहते हैं तथा सृष्टि को चलाने में अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं परंतु आज समाज में बहुत सी कमियां व दुष्प्रवृत्तियां आ गई हैं इसे समझने के लिए आवारा कुत्तों तथा मनुष्यों में तुलनात्मक टिप्पणी और अध्ययन की आवश्यकता है जिसका एक छोटा सा अंश जो मैंने अनुभव किया है मैं यहां लिखती हूँ:-

आवारा कुत्ते असामाजिक प्राणियों की श्रेणी में आते हैं जिनमें अधिकतर नर गैर जिम्मेदार व असामाजिक होते हैं इसका पता हमें अच्छे से तब पता चलता है जब आवारा कुत्तों में प्रजनन का मौसम आता है तब वह एक मादा के पीछे 3-4 नर मिलकर सहवास करते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के पश्चात सभी नर मादा को छोड़ देते हैं ततपश्चात गर्भवती मादा सभी नरों के कुल मिलाकर 7 से 8 पिल्लों को अकेली जन्म देती है तथा अकेली उनका पालन करती है इस अवधि के दौरान नर न तो कभी उसका साथ देता है न आगे पालन पोषण में कोई मदद करता है। उन पिल्लों में से कुछ भूख और अपर्याप्त भोजन से मर जाते हैं कुछ सड़क दुर्घटनाओं में तथा अन्य कुत्तों के आक्रमणों के दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है अंततः केवल दो या तीन पिल्ले ही बच पाते हैं और आगे जाकर कुत्तों के रूप में दिखाई पड़ते है। आगे जाकर कई बार मादा अपने ही पिल्ले के साथ सहवास करती हुई पाई जाती है तथा अकेली तड़पती हुई मिलती है जिसका कोई अर्थ नहीं होता वह जीवन उस मादा को मिलता है।

इसके विपरीत मनुष्य एक सामाजिक प्राणी कहलाता है वह विवाह रूपी समाजिक बंधन में बंधता है और घर बसाता है तथा अपने बच्चों का लालन पालन दोनो नर व मादा मिलकर करते हैं उनकी शिक्षा-दीक्षा करता है समझदार बनाता है मनुष्य का मनुष्य होना ही उसे अन्य प्राणियों से अलग करता है मनुष्य केवल तब तक ही मनुष्य कहलाता है जब तक उसमें एक समझदार मनुष्य की भाँति व्यहवार व कार्य करने का विशेष गुण होता है। जब मनुष्य आधुनिकता के नाम पर अपना वह विशेष गुण खोने लगता है और धीरे-धीरे पशुओं की भांति व्यहवार करता है तब वह धीरे-धीरे एक पशु की श्रेणी में आने लगता है। मनुष्य को कभी भी भूलना नहीं चाहिए कि वह एक मनुष्य है न कि एक पशु। खुद को मिली विशेष शक्तियों का दुरुपयोग करने से बचना चाहिए। एक महान लेखक 'अरस्तू' का कथन है कि, “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और जो व्यक्ति इस समाज में नहीं रहता या तो वो देवता की श्रेणी में आता है या फ़िर पशु की।” 

आज मनुष्य अपनी बुद्धि को खोता जा रहा है वह पशु की भाँति व्यहवार करता जा रहा है आधुनिक होने और अपने स्वार्थ की पूर्ति करने के नाम पर वह गलत मार्गों पर चलता जा रहा है हवस की तृष्णा बुझाने के लिए वह कई बुरे काम कर जाता है बलात्कार और यौन हिंसा इसका एक उदाहरण है वह अपनी हवस को पूर्ण करने के लिए रिश्तों को कलंकित करने से भी नहीं चूकता वह अपने कई रिश्ते बस इसी वजह से ख़राब कर लेता है। जो चीज़े मनुष्य का विकास करती हैं तथा उसे समझदार बनाती हैं और उसे अपनी वासनाओं पर विजय प्राप्त करने में मदद करती हैं व्यक्ति उन सभी चीज़ों से दूर हो जाता है जैसे धर्म, योग, कर्म, धैर्य तथा परिश्रम। आज यह चीज़ें बिल्कुल गौण होती जा रही हैं और तो और धार्मिक ग्रंथों और शिक्षा में भी मिलावट कर उन्हें दूषित कर दिया गया है जो मनुष्य को गलत चीज़ सिखाती हैं तथा एक मनुष्य को मनुष्य होने से रोकती हैं जिससे व्यक्ति बुराई की तरफ बढ़ता है तथा बुरे कर्म करता है उदाहरणतया - एक आतंकवादी या दुर्बुद्धि का अपराधी।

(Image : Buzzle.com)

इससे बचने व इससे उबरने के लिए मनुष्य को सर्वप्रथम स्वयं को जानने की आवश्यकता है जब मनुष्य स्वयं से परिचित होगा तब वह सभी दुर्गुणों से दूर  होता चला जायेगा व एक अच्छा मनुष्य बनेगा और अपराध में भी कमी दिखाई देगी और जीवन सरल होगा और मानवता का विकास अस्तित्व में आएगा। अगर मनुष्य अब भी नहीं समझा और प्रकृति के नियमों से खिलवाड़ करता रहा तो जल्द ही यह संसार अस्त व्यस्त हो जाएगा और विनाश की और कदम रखता जाएगा। प्रकृति को प्रेम कर व अपने स्वयं की शक्तियों की पहचान कर मनुष्य कोई भी विजय प्राप्त कर सकता है। ध्यान रहे कि आप मनुष्य है कोई पशु नहीं।

विशेष: मेरे इस लेख का उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करने या व्यर्थ के वाद विवाद उत्पन्नं करना नहीं था इस लेख  को लिखने का उद्देश्य था कि मनुष्य स्वयं को पहचाने और बुराई को पराजित कर धर्म और अच्छाई की स्थापना करे पर फिर भी किसी भी व्यक्ति को मेरे शब्दों से बुरा लगा हो या ठेस पहुंची हो तो मैं उसकी क्षमा प्रार्थी हूँ। आशा है कि लोग इस विषय की गम्भीरता को समझेंगे तथा मानव सभ्यता का कल्याण करेंगे।

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